विश्वकर्मा पूजा, जो भारत में प्राचीन काल से मनाई जाती रही है, भगवान विश्वकर्मा की पूजा है, जो कला, उद्योग और व्यापार के देवता के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह पूजा विश्वकर्मा जयंती के दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर 17 सितंबर या उसके करीब एक दिन पड़ती है। विश्वकर्मा जयंती भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाने का दिन है।
इस पूजा का मुख्य उद्देश्य कला, उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने के लिए भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करना है। विश्वकर्मा पूजा को व्यवसायियों, उद्योगपतियों और कला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों द्वारा विशेष तरीके से मनाया जाता है। व्यापारिक और औद्योगिक स्थानों में नई मशीनों, औजारों या उपकरणों की पूजा की जाती है और काले कारीगर भी अपने काम के प्रति निष्ठा और समर्पण दिखाते हैं।
यह पूजा कुछ क्षेत्रों में विश्वकर्मा जयंती के दिन मनाई जाती है, जबकि अन्य क्षेत्रों में इसे थोड़े अलग समय पर मनाया जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन व्यापारिक स्थलों, औद्योगिक केंद्रों और काली शिल्पकला को सजाया जाता है और पूजा के साथ-साथ प्रसाद भी बांटा जाता है। आजकल लोगों को अपने व्यापारिक एवं औद्योगिक सामग्रियों को नये रूप में रखने का अवसर भी मिल गया है।
यह पूजा पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है, लेकिन पूरे देश में इसे अलग-अलग तरीकों से और अलग-अलग परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है।